स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदारों ने किया बड़ा खुलासा
स्वास्थ्य विभाग में कमीशन के चक्कर में जिंदगी और मौत का सौदा
प्रशव के दौरान गर्भवती महिलाओं को कमीशन की लालच में निजी चिकित्सालय तक दहशत देकर ले जाती हैं आशाएं
ताजा मामला पट्टीरहस कैथवल का, प्रसूता के सामान्य प्रसव पर भी आशा ने दिखाया निजी चिकित्सालय का रास्ता,बच्ची की मौत
सारा समय न्यूज़ नेटवर्क
ऊंचाहार रायबरेली । स्वास्थ्य विभाग में आशा बहुएं अपने निजी लाभ के चलते जच्चा और बच्चा की जान की दुश्मन बन रही हैं ।
ताजा मामला पट्टी रहस कैथवल गांव का है ।
गांव निवासिनी मिश्री प्रजापति की पुत्री कुसुम पत्नी अखिलेश को प्रशव पीड़ा होने पर बीती 26 फरवरी की प्रातः लगभग 10 – 11 बजे सीएचसी में स्थानीय आशा की मदद से भर्ती कराया गया था।
परिजनों के मुताबिक सीएचसी की महिला डॉक्टर ने उन्हें स्थानीय पंजीकृत अस्पताल अल्ट्रासाउंड करवाने के लिए भेजा लेकिन संबंधित आशा ने अपने निजी लाभ के चलते मरीज को रायबरेली प्रतापगढ़ की सीमा ब्रम्हौली की एक महिला डॉक्टर की क्लीनिक पहुंचा दिया।
परिजन बताते हैं कि उक्त चिकित्सालय में मरीज को भर्ती कर लिया गया और गंभीर मामला बताकर परिजनों से 15 हजार रुपए जमा करवा लिए गए ।
जिसके बाद प्रसूता का सामान्य प्रसव करवाया गया ,लेकिन प्रसव के बाद बताया गया कि बच्ची की स्थिति नाजुक है इसे रायबरेली के एक निजी चिकित्सालय में भर्ती करवाओ ,जिसके लिए चिकित्सालय संचालिका ने एक निजी एंबुलेंस की भी व्यवस्था की।
जिसके बाद भेजे गए निजी चिकित्सालय में बच्ची को अक्सीजन में रखा गया और फिर लगभग 24 घंटे बाद उसे डिस्चार्ज किया गया इस दौरान रायबरेली के निजी चिकित्सालय ने प्रसूता के परिजनों से मनमाफिक रुपए ऐंठे।
घर लाते ही बच्ची की स्थिति बिगड़ने लगी जिसे पुनः ब्रम्हौली के निजी चिकित्सालय में दिखाया गया लेकिन महिला चिकत्सक ने हांथ खड़े करके बच्ची को सीएचसी के लिए भेज दिया ।
सीएचसी लाने के बाद डॉक्टरों ने बच्ची को मृत घोषित कर दिय
आशा बहू और निजी
चिकिसालय संचालक के बीच कमीशन का पूरा खेल
सारा समय न्यूज नेटवर्क
ऊंचाहार रायबरेली । सीएचसी स्टाफ, सूत्रों के हवाले से मिल रही जानकारी के मुताबिक प्रसव के लिए आने वाले हर मरीज पर आशाओं की गिद्ध दृष्टि रहती है जो मौका पाते ही मरीज को सेटिंग वाले चिकित्सालय तक पहुंचाती हैं जहां प्रसव के दौरान हुए इलाज की धनराशि का 40 प्रतिशत निजी चिकित्सालय संबंधित आशा को देता है।यही नहीं यदि मरीज रेफर है तो रेफर किए गए हॉस्पिटल से भी इतना ही कमीशन आशा को आता है ।
इसी की लालच में आकर आशाएं जच्चा और बच्चा की जान का सौदा कर बैठती हैं।
क्या कहते है एसीएमओ
रायबरेली । पट्टी रहस कैथवल के पूरे मामले पर एसीएमओ अरविंद कुमार ने कहा कि मामला प्रकाश में आते ही संबंधित आशा और अन्य पर विभागीय कार्यवाही की जाएगी।