एनटीपीसी ऊंचाहार के स्टेज – I में एफजीडी सिस्टम का गैस इन शुरू

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ऊंचाहार।एनटीपीसी ऊंचाहार के स्टेज – I के अंतर्गत प्रचालित 210 मेगावाट की दोनों इकाईयों में एफजीडी सिस्टम को चालू करने की दिशा में आगे बढ़ते हुए गैस-इन व प्रचालन की प्रक्रिया को शुरू किया गया। परियोजना प्रमुख श्री मनदीप सिंह छाबड़ा ने करतल ध्वनि के बीच इस प्रक्रिया का शुभारंभ किया। इस अवसर पर श्री छाबड़ा ने कहा कि प्रदूषण मुक्त तथा पर्यावरण हितैषी विद्युत उत्पादन एनटीपीसी की सुस्पष्ट नीति है। उसी के अनुपालन में ऊंचाहार विद्युत ग्रह की प्रत्येक इकाई में एफजीडी प्रणाली लागू करने की दिशा में कार्यरत हैं ताकि प्रदूषण मुक्त विद्युत उत्पादन के संकल्प को पूरा कर सकें।

उल्लेखनीय है कि स्टेज – I में एफजीडी सिस्टम ट्रायल रन 30 दिन तक लगातार सफलतापूर्वक संचालित करने के बाद इसे पूर्ण रूप से कमीशंड घोषित कर दिया जाएगा। इसके कमीशंड होने पर ऊंचाहार पहला ऐसा विद्युत गृह होगा, जिसमें एक साथ दो इकाईयों में संयुक्त एफजीडी सिस्टम की शुरुआत की गई है। उद्घाटन अवसर पर परियोजना प्रमुख के अलावा महाप्रबंधक (प्रचालन एवं अनुरक्षण) श्री रवि प्रकाश अग्रवाल, महाप्रबंधक (प्रचालन) श्री राजेश कुमार, उप महाप्रबंधक (प्रोजेक्ट) श्री आशीष गैरोला तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित रहे।

उल्लेखनीय है कि एफजीडी सिस्टम के संचालन से प्रदूषण स्तर को लगभग शून्य किया जा सकेगा। यह प्रणाली पावर प्लांट के उत्सर्जन से सल्फर की मात्रा को 97 प्रतिशत तक कम करता है और वातावरण दूषित होने से बचाता है।

क्या होता है एफजीडी?

थर्मल पावर प्रोजेक्ट में FGD (Flue Gas Desulfurization) सिस्टम का मुख्य उद्देश्य वातावरण में सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂) उत्सर्जन को कम करना है। जब कोयले से बिजली उत्पन्न की जाती है, तो उसके जलने से सल्फर डाइऑक्साइड उत्पन्न होती हैं।

FGD सिस्टम कोयले के जलने के बाद निकली फ्ल्यू गैसों से सल्फर डाइऑक्साइड को हटाने का काम करता है। यह प्रक्रिया आमतौर पर चूना पत्थर (लाइमस्टोन) या अन्य रासायनिक घोल का उपयोग करके की जाती है, जो सल्फर डाइऑक्साइड के साथ रासायनिक प्रतिक्रिया करके उसे ठोस रूप में बदल देता है, जिसे सुरक्षित रूप से निपटाया जा सकता है।इस सिस्टम का उपयोग न केवल प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है, बल्कि यह सुनिश्चित करता है कि बिजली संयंत्र पर्यावरणीय मानकों का पालन करें, जिससे सतत और सुरक्षित ऊर्जा उत्पादन हो सके।

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