सारा समय न्यूज नेटवर्क
सलोन,रायबरेली।शारदीय नवरात्रि के अवसर पर नगर के दुर्गा पूजा पंडाल के समीप आयोजित विशाल भंडारे में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। जगत जननी के पंडाल में घंटा घड़ियाल की गूंज के बीच भक्तो ने पूड़ी सब्जी हलवा प्रसाद के रूप में ग्रहण किया गया। कार्यक्रम की शुरुवात माता की प्रतिमा के पास दीप प्रज्वलित कर किया गया।ततपश्चात माता रानी के जयकारे से पंडाल स्थल गूंज उठा।वही नवरात्र महोत्सव के दौरान शनिवार को श्रद्धालुओं ने मां की पूजा-अर्चना की। माता रानी के दरबार में मन्नतें मांगी गई तो व्रत रखकर भी श्रद्धालुओं ने आस्था प्रकट किए। मंदिरों में श्रद्धालुओं ने मां के दरबार में नूरानी ज्योत जलाकर भी हाजिरी लगाई। भंडारे में हजारों की तादात में दूर दराज के ग्रामीणों ने प्रसाद चखा।इस मौके पर श्रद्धालुओं का हुजूम देखते बनता था।इस मौके पर कमेटी के कार्यकर्ता विपिन साहू,फूलचन्द्र गुप्ता,मुरारी साहू,आदेश अग्रहरि,रोहन साहू,शनि बाबा,सुभाष जायसवाल ,पप्पू साहू विनय रस्तोगी आदि लोग मौजूद रहे।
फोटो – 0021
रामलीला के छठवें दिन राजा दशरथ ने श्रीराम के राज्याभिषेक की घोषणा की
नाराज कैकेई ने राम के लिए बनवास और भरत के लिए मांगी राजगद्दी
सारा समय न्यूज नेटवर्क
सलोन,रायबरेली।सलोन नगर की ऐतिहासिक रामलीला के 6वे दिन अयोध्या के राजा दशरथ ने राम के राज्याभिषेक की घोषणा की। लेकिन नाराज कैकयी ने राजा से राम के लिए वनवास और भरत के राजगद्दी मांगी। राजा दशरथ, कैकई और मंथरा के बीच जोरदार संवाद रोमांचित कर देने वाला था।इस दौरान पात्रों ने बेहतरीन अभिनय कर मंचन को जीवंत बनाए रखकर दर्शकों के तालियों की गड़गड़ाहट बटोरी।लीला में राजा दशरथ द्वारा श्रीराम राजअभिषेक की घोषणा की गई तो मंथरा ने महारानी कैकई को बहकाकर राजा से दो वर मांगने को कहा जो एक समय युद्ध के समय राजा दशरथ ने कैकई को वचन के रूप में दिए थे। उस समय कैकई ने कहा था कि समय आने पर वर मांग लूंगी। रानी ने राजा दशरथ से एक वर भरत को राजाभिषेक व दूसरे में श्री राम को 14 वर्ष का वनवास मांगा।
वचन सुनकर राजा दशरथ ने कैकई को समझाने का प्रयास किया लेकिन कैकई नहीं मानी। इसके बाद राम का स्मरण करते हुए राजा दशरथ विलाप करने लगे।पिता के वचनों को निभाने के लिए श्रीराम ने उनकी आज्ञा लेकर वनों की ओर प्रस्थान किया तो सीता व लक्ष्मण ने भी उनके साथ जाने के लिए जिद्द की। अपनी माताओं से आज्ञा लेकर श्रीराम, सीता व लक्ष्मण ने वनों की ओर प्रस्थान किया।