सारा समय मीडिया टीम
ऊंचाहार,रायबरेली ।अगर वितरण प्रणाली की दुकान (कोटा ) चलाना है तो 20 रुपए प्रति कुंतल की दर से हर माह तहसील के पूर्ति कार्यालय पहुंचा दिया करो नही तो वितरण प्रणाली की दुकान के साथ साथ संचालक पर कोई भी कार्यवाही हो सकती है।अब ऐसे में जहां एक तरफ सरकार का सपना है कि गरीबों तक निशुल्क खाद्यान आसानी से पहुंच सके तो वही विभागीय संविदाकर्मी और अन्य जिम्मेदार सरकार के मंसूबों से खेल रहे हैं।
ये हम नही कह रहे हैं बल्कि ये क्षेत्रीय कोटेदारों का दर्द है जो दबी आवाज में मीडिया तक पहुंच गया है।अभी तक तो कोटेदारों के ऊपर गरीबों के निवालों पर डांका डालने के तमाम आरोप लग रहे थे लेकिन अब विभाग तहसील कार्यालय के जिम्मेदारों और कंप्यूटर ऑपरेटरो पर कोटेदारों से अवैध वसूली के आरोप लगने लगे हैं।कोटेदार बताते हैं कि गरीबों के लिए आने वाले निशुल्क खाद्यान की उठान पर तहसील के एक विभागीय जिम्मेदार के पर हर महीने राशन उठान का प्रति कुंतल की दर से 20 रुपए जमा करना पड़ता है ।कोटेदारों को कार्यालय द्वारा ये भी बताया गया है कि उक्त राशि का कुछ अंश जिला पूर्ति अधिकारी तक जाता है ।
कोटेदारों ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि क्षेत्र में लगभग 125 वितरण प्रणाली की दुकानें हैं जिसमें प्रति दुकान 100 से 400 कुंतल प्रतिमाह राशन उठता है।
यदि कोटेदारों का उक्त कथन सत्य है तो इस हिसाब से 125 दुकानों का 200 कुंतल प्रतिमाह की दर से, 200×20= 400,000₹प्रति माह की अवैध वसूली होती है।
कोटेदारों ने जानकारी देते हुए बताया कि 90 रुपए प्रति कुंतल की दर से कोटेदारों का कमीशन तय है लेकिन कभी पूरा कमीशन नही आता ,जिसमें पल्लेदारी और लेबर आदि का भी खर्च निकालना पड़ता है ।
अब ऐसे में सवाल बड़ा है कि आखिर गरीबों के निवालों पर डांका क्यों न पड़े ?मामले में जिलापूर्ति अधिकारी विमल कुमार शुक्ल ने कहा कि वे आजतक किसी भी दुकान पर नहीं गए ,रही अवैध वसूली की बात तो लिखित शिकायत मिलने पर सबंधित वसूलीकर्ता के विरुद्ध एफआईआर करवाई जायेगी ।