सारा समय मीडिया
ऊंचाहार , रायबरेली । क्षेत्र के किसुनी का पुरवा गांव में श्रीमद भागवत कथा के प्रथम दिन माता सती , ध्रुव और जड़ भरत की कथा सुनाई गई । तीन महान कथाओं की बहती त्रिवेणी धारा में श्रोता मुग्ध होकर आनंदित होते रहे ।
चित्रकूट से पधारे कथावाचक श्री श्री 1008 श्री राजगुरु स्वामी बद्री प्रपन्ना चार्य ने कहा कि भगवान शिव की बात न मानने पर पिता के घर जाने से अपमानित होकर सती ने खुद को अग्नि में स्वाहा कर दिया था। जिससे शिव क्रोधित हुए और उन्होंने राजा अहंकार को नष्ट किया। बाद में पार्वती के रूप में पुनः जन्म लेकर वे महादेव से मिलीं।ध्रुव चरित्र के बारे में कहा जाता है कि माता के संस्कार और आशीर्वाद से उन्होंने परमपद प्राप्त किया। जड़ भरत चरित्र के बारे में कहा जाता है कि उनका प्रकृत नाम ‘भरत’ था। वे पूर्वजन्म में स्वायंभुव वंशी ऋषभदेव के पुत्र थे। मृग के छौने में तन्मय हो जाने के कारण उनका ज्ञान अवरुद्ध हो गया था और वे जड़वत् हो गए थे। आसक्ति के कारण ही जन्मदु:ख होते हैं, ऐसा समझकर ये आसक्तिनाश के लिए जड़वत् रहते थे। उन्होंने बताया कि कुंती ने कैसे भगवान को प्राप्त किया जीवन में कैसे भक्ति ज्ञान वैराग्य आए सुंदर भीष्म जी का चरित्र सुनाया ऐसे भागवत तत्व का अद्भुत दर्शन अपने अमृतमई वाणी से रसवेदन कर रहे हैं पूज्य गुरुदेव भगवान श्रीमद् भागवत कथा आयोजन नीरज मिश्रा द्वारा पूरे किशनी अरखा में किया जा रहा है ।कथा के दौरान भजन गायकों के साथ व्यास जी ने भजनों की प्रस्तुति दी कथा का श्रवण यजमान लालता प्रसाद मिश्र राकेश मिश्र धीरज मिश्रा रज्जन तिवारी मनीष शुक्ला प्रकाश तिवारी मनोज तिवारी पवन पांडे सहित हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने कथा सुनी।